यह पुस्तक लिखते समय मैंने सोचा भी नहीं था कि इसकी बीस लाख प्रतियों के बिकने का समारोह आयोजित किया जायेगा। सच कहूँ तो मैं इस बात के लिये कृतज्ञ नहीं हूँ कि यह पुस्तक इतनी ज़्यादा बिकी, बल्कि इस बात के लिये कृतज्ञ हूँ कि इतने सारे लोगों ने मेरी इस पुस्तक की आसान और ज़िंदगी में काम आने वाली फ़िलॉसफ़ी से लाभ उठाया है।
इस पुस्तक में जो जादुई सिद्धांत दिये गये हैं, उन्हें मैंने बहुत कष्ट उठाकर सीखा है। ज़िंदगी की राह की अपनी व्यक्तिगत खोज में मैंने कोशिश कर करके और ग़लती कर करके इन्हें सीखा है। परंतु मुझे इनमें अपनी समस्याओं का जवाब मिल गया और यक़ीन मानिये में वह सबसे मुश्किल व्यक्ति हूँ जिसके साथ मैंने काम किया है। इस पुस्तक में मेरी यही कोशिश रही है कि में अपने आध्यात्मिक अनुभव को सबके साथ बाँटू, क्योंकि अगर यह मेरी मदद कर सकता है, तो मुझे लगता है यह दूसरों की भी मदद कर सकता है।
जीवन की आसान फ़िलॉसफ़ी बनाते समय मुझे अपनी सारी समस्याओं के जवाब ईसा मसीह के उपदेशों में मिले। मैंने केवल उन्हीं सच्चाइयों का वर्णन ऐसी भाषा और विचारों के रूप में करने की कोशिश की है जो वर्तमान युग में लोगों को समझ में आ जाये। यह पुस्तक जीवन की जिस राह को बताती है वह बेहद अद्भुत है। यह आसान नहीं है। दरअसल, यह अक्सर कठिन है, परंतु यह खुशी, आशा और विजय से भरी हुई है